रविवार, 11 सितंबर 2011

ज़िन्दगी बहुत कुछ सहती रहती


ज़िन्दगी बहुत कुछ सहती रहती

आँखों से दूर तक

छोर नहीं दिखता

जिसका

ज़िन्दगी उस सागर सी

नज़र आती

निरंतर कभी ज्वार

कभी भाटा जीवन में

आता रहता

कभी खामोश कभी

क्रोध से उफनता

भावनाओं की लहरें

कभी छू कर चली जाती

कभी मन मष्तिष्क को

सरोबार करती

मन की गहराइयों में

पीड़ा और प्यार की

जुगलबंदी

बनती बिगडती रहती

बिना शोर मचाये

सागर सी रहस्मय

ज़िन्दगी बहुत कुछ

सहती रहती
डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
(डा. राजेंद्र तेला निरंतर पेशे से दन्त चिकित्सक हैं। कॉमन कॉज सोसाइटी, अजमेर के अध्यक्ष एवं कई अन्य संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। समाज और व्यक्तियों में व्याप्त दोहरेपन ने हमेशा से उन्हें कचोटा है । अपने विचारों, अनुभवों और जीवन को करीब से देखने से उत्पन्न मिश्रण को कलम द्वारा कागज पर उकेरने का प्रयास करते हैं। गत 1 अगस्त 2010 से लिखना प्रारंभ किया है।) उनका संपर्क सूत्र है:-
rajtelav@gmail.com
www.nirantarajmer.com
www.nirantarkahraha.blogspot.com

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