रविवार, 25 सितंबर 2011

कोई मोहब्बत ना करे


आशिक ने दम तोड़ा
लोगों ने घर का
दरवाज़ा तोड़ा
लाश को बाहर निकाला
दाढी बड़ी हुयी थी ,
सूरत पिचक गयी थी
आँखें गड्डे में धंस गयीं थी
निरंतर भूखे रहने से
जिस्म कंकाल हो गया था
कमरे में देखा तो
चंद सूखे हुए फूल
करीने से रखे थे
ढेर सारे खत कमरे में
बिखरे पड़े थे
हर दीवार पर माशूक का
नाम लिखा था
कमरा उसकी
तस्वीरों से भरा था
अंतिम इच्छा का
एक खत
अलग से पडा था
उसमें लिखा था
सारे फूल ,
सारे खत,सारी तसवीरें
मेरे साथ दफ़न कर देना
मेरी मज़ार पर लिख देना
कोई मोहब्बत ना करे
करे तो बेवफायी से ना डरे
अंजाम के लिए तैयार रहे
मेरी कब्र की बगल में
तुम्हारी भी कब्र बना लेना
मोहब्बत की कीमत
तुम भी चुका देना

डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर" (डा. राजेंद्र तेला निरंतर पेशे से दन्त चिकित्सक हैं। कॉमन कॉज सोसाइटी, अजमेर के अध्यक्ष एवं कई अन्य संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। समाज और व्यक्तियों में व्याप्त दोहरेपन ने हमेशा से उन्हें कचोटा है । अपने विचारों, अनुभवों और जीवन को करीब से देखने से उत्पन्न मिश्रण को कलम द्वारा कागज पर उकेरने का प्रयास करते हैं। गत 1 अगस्त 2010 से लिखना प्रारंभ किया है।) उनका संपर्क सूत्र है:- rajtelav@gmail.com www.nirantarajmer.com www.nirantarkahraha.blogspot.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें