शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

कोई मेरे पंख लगा दे


कोई मेरे
पंख लगा दे
मुझे उड़ना सिखा दे
सपनों की दुनिया से
यथार्थ की दुनिया में
पहुंचा दे
मेरा भ्रम मिटा दे
मुझे सत्य से अवगत
करा दे
उद्वेलित ह्रदय को
प्रेम से भर दे
उदिग्न मन को
शांत कर दे
निरंतर चैन से
जीने दे
कोई मेरे

पंख लगा दे
मुझे उड़ना सिखा दे


कुछ लोग छिप कर मुस्काराते
कुछ लोग
छिप कर मुस्काराते
अकेले में याद करते
ख़्वाबों में खोते हैं
निरंतर खुद भी तड़पते
चाहने वालों को भी
तड़पाते
किस बात से शरमाते ?
क्यों इतना घबराते हैं ?
ज़ज्बात को छिपाते
कोई समझाए उन्हें
क्यों दर्द-ऐ-दिल
बढाते ?

जाने से अनजाने अच्छे जाने से
अनजाने अच्छे
देख कर मुस्काराते
ना शक रखते
ना कयास लगाते
ना खार खाते
ना मतलब ढूंढते
दिल की बात को
ध्यान से सुनते
निरंतर तहजीब से
पेश आते
ना उम्मीद करते ,
ना उम्मीद देते
खुशनुमा बातों से
होंसला बढाते
कुछ लम्हों के लिए
ही सही
दिल को सुकून देते
डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर" (डा. राजेंद्र तेला निरंतर पेशे से दन्त चिकित्सक हैं। कॉमन कॉज सोसाइटी, अजमेर के अध्यक्ष एवं कई अन्य संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। समाज और व्यक्तियों में व्याप्त दोहरेपन ने हमेशा से उन्हें कचोटा है । अपने विचारों, अनुभवों और जीवन को करीब से देखने से उत्पन्न मिश्रण को कलम द्वारा कागज पर उकेरने का प्रयास करते हैं। गत 1 अगस्त 2010 से लिखना प्रारंभ किया है।) उनका संपर्क सूत्र है:- rajtelav@gmail.com www.nirantarajmer.com www.nirantarkahraha.blogspot.com

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