बुधवार, 14 सितंबर 2011

कविताएं


कुछ रिश्ते....

कुछ रिश्ते

दिल से होते

मन में बसते

चाहे अनचाहे

अनजाने में बनते

किसी रिश्ते से

कम नहीं होते

निरंतर मिलने की

ख्वाइश तो होती

मुलाक़ात हो ना हो

दूरियां उनमें

खलल नहीं डालती

नजदीकियां

दिल की होती

इक कसक दोनों

तरफ होती

दिल से दुआ

एक दूजे के लिए

निकलती

कमी दिल में सदा

खलती

याद से रौनक

चेहरे पर आती

जहन में सुखद

अनुभूती होती

कुछ रिश्ते....







गीत,जीवन,हिम्मत ,होंसला,कर्म,



दिल दर्द से भरा

जहन

निरंतर फ़िक्र से अटा

कुछ हसरतें फिर भी

बाकी है

खिजा को बहारों की

उम्मीद अभी बाकी है

काँटों से

दोस्ती बहुत कर ली

फूलों से

दोस्ती की तमन्ना

अभी बाकी है

अंजाम की फ़िक्र नहीं

खोने को कुछ बचा नहीं

दिल की आग अभी

बुझी नहीं

ज़िन्दगी के जुए में

एक दाँव अभी बाकी है

कश्ती को साहिल की

आस अभी बाकी है



दूर पहाड़ों में

टिमटिमाती बत्तियां

गगन में जगमगाते

तारों सी दिखती

निमंत्रण देती

छोड़ दो अब

लुटी हुयी धरती को

पैसे के लिए

कटे हुए पेड़ों और

कंक्रीट के जंगल को

निरंतर धूल मिट्टी से

पीछा छुडाओ

आ जाओ पहाड़ों में

बादलों से

अठखेलियाँ करो

ठंडी,ताज़ी हवा के

झोके खाओ

मन के गीत गाओ

पंछियों से बातें करो

प्रकृति की गोद में

जीवन बिताओ

जो नहीं कर सके

धरती पर

वो पहाड़ों में करो

इश्वर के वरदान का

सम्मान करो

धन लोलुप इंसानों से

पहाड़ों की रक्षा करो
डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
(डा. राजेंद्र तेला निरंतर पेशे से दन्त चिकित्सक हैं। कॉमन कॉज सोसाइटी, अजमेर के अध्यक्ष एवं कई अन्य संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। समाज और व्यक्तियों में व्याप्त दोहरेपन ने हमेशा से उन्हें कचोटा है । अपने विचारों, अनुभवों और जीवन को करीब से देखने से उत्पन्न मिश्रण को कलम द्वारा कागज पर उकेरने का प्रयास करते हैं। गत 1 अगस्त 2010 से लिखना प्रारंभ किया है।) उनका संपर्क सूत्र है:- rajtelav@gmail.com www.nirantarajmer.com www.nirantarkahraha.blogspot.com

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