सोमवार, 10 अक्टूबर 2011

अब ‘जी’ ‘जी’ ना कहना !

आए दिन देष में नित नए घोटालें प्रकाष में आ रहे हैं. हर बार यह लगता हेै कि
इस बार का घोटाला सबसे बडा हैं. इन्हें देख-सुनकर लोगबाग अकबर के जमाने की एक
बात याद कर रहे हैं. एक बार बादषाह अकबर अपने नवरत्नों सहित दरबार में बैठे हुए थे
तभी उन्होंने बीरबल की परीक्षा लेनी चाही. उन्होंने एक कागज पर कलम से एक लकीर
खींचकर बीरबल से कहा कि इस लकीर से छेडछाड किए बगैर इसे छोटी करके दिखाओइस
बात पर बीरबल मुस्कराया और षहंषाह के हाथ से कलम लेकर उस लकीर के पास
ही एक बडी लकीर खींच दी और कहा कि जहांपनाह लो, यह पहलेवाली लकीर छोटी
होगई. ठीक यही परिदृष्य आज देष की खुली अर्थव्यवस्था एवं सरकार की ढिलाई से एक
के बाद एक घोटालों के खुलने से देखने को मिल रहा हैं. अमेरिका के हार्वर्ड विष्वविद्यालय
और विष्वबैंक के ऐक्सपटर्स लोगों की नाक के नीचे नित नए घोटालें उजागर हो रहे हैंकुछ
वर्षों पूर्व हरषद मेहता कांड हुआ. आम जनता के पैसों के खूब चूना लगाफिर
केतन देसाई कांड, तेलगी स्टाम्प पेपर कांड, सत्यमराजू घोटाला कांड, आईपीएल कांड
हुआ, मधुकोडाके काले करनामें उजागर हुए और इसके बाद सीडब्लूजी, मुम्बई आदर्ष
सोसाइटी कांड हुआ फिर टूजी स्पैक्ट्म घोटाला सामने आया तो यह बाकी सब घोटालें बौने
हो गए जैसे उपरोक्त अकबर-बीरबल के किस्सें में हुआ था, फिर सरकार कह देगी ‘मैं
मजबूर हूं’ सुना आपने ? मजबूत नही मजबूर !
इन दिनों चारों तरफ जी, टूजी, थ्रीजी की ही चर्चा हो रही हैं. वैसे जिन्दगी में हम
सबका किसी न किसी ‘जी’ से पाला पडता ही रहता हैं. मुझे स्वयं को बचपन में पास
पडौस की नवविवाहिताएं ‘लालजी’ ‘छोटयाजी’ कह कर पुकारती थी तो मैं दौड दौडकर
उनके छोटे-मोटे काम कर दिया करता था. फिर जब मैं बडा होगया तो मेरी षादी होगई
और मेरी पत्नि मुझे ‘ऐजी’ कह कर पुकारने लगी और मुझे जब कुछ कहना होता तो मैं
उसे ‘सुनोजी’ कह कर संबोधित करता तो वह जवाब देती ‘हांजी’ ‘कहोजी’ यानि दोनों ओर
से ‘जी’ ‘जी’ का ही संबोधन होता, रिष्तों में भी मिठास बना रहता.
भूतपूर्व एनडीए सरकार और अब यूपीए की वजह से देष में ‘जी’, ‘टूजी’ अथवा
‘थ्रीजी’ की इतनी फजीहत हुई हैं कि अब कोई ‘जी’ का नाम ही नही लेना चाहता न जाने
कोैनसी आफत सिर पर आजाय ? और तो और अब पारिवारिक रिष्तों में भी इस
‘जीजी’ यानि टूजी का नकारात्मक प्रभाव पडने लगा है कि कोई भी भाई अपनी बडी बहन
को ‘जीजी’-दीदी- कहने में घबराने लगा हैं. इस दहषत से पति-पत्नि के रिष्तों में भी दरार
पडने की संभावना बढ गई हैं क्योंकि पत्नि जब ऐजी की जगह सिर्फ ‘ऐ’ बोलेगी तो क्या
नजारा बनेगा ? बडी बहन को अब कोई टूजी यानि जीजी नही बोलना चाहेगा क्योंकि अगर
सीबीआई के किसी कारिन्दें ने सुन लिया कि यह बन्दा भी बिना लायसैंस ‘टूजी’ का
इस्तैमाल कर रहा हेै तो आनन फानन में छापा पडने की संभावना बढ जायेगी. सीबीआई
तो यही समझेगी कि यह षख्स भी ‘पहले आओ पहले खाओवेवाली’ स्कीम में षामिल हेै
अतः इसको भी घेरें में लिया जाय.
इसलिए विषेषज्ञों की राय है कि जब तक यह मसला कोर्ट में है आप भी घर-
बाहर किसी भी तरह के ‘जी’ ‘जी’ से बचे. जाने कब क्या आफत आजाय ?
-ई. शिव शंकर गोयल,
फ्लैट न. 1201, आई आई टी इंजीनियर्स सोसायटी,
प्लाट न. 12, सैक्टर न.10, द्वारका, दिल्ली- 75.
मो. 9873706333

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें