रविवार, 15 जनवरी 2012

कल कह ना सकूं


कल कह ना सकूं
दिल की बात आज ही
कहना चाहता हूँ
रात सोऊँ सवेरे उठ
ना पाऊँ
इस तरह दुनिया से
रुखसत होना चाहता हूँ
सबको हँसते गाते
छोड़ कर जाना चाहता हूँ
जानता हूँ जब भी कोई
अपना जाता
दिल कितना रोता है
किसी अपने को
रुलाना नहीं चाहता हूँ
याद कर
आंसू ना बहाए कोई
जाने के बाद किसी को
याद नहीं आऊँ
ज़िन्दगी के सफ़र में
मिला था मुसाफिर कोई
समझ कर
भुला दिया जाऊं
दुखाया हो
दिल किसी का कभी
हुयी हो गलती कोई
तो जीते जी
माफ़ कर दिया जाऊं
जाने के बाद
दिल किसी का दुखाना
नहीं चाहता हूँ
दे नहीं सका खुशी जिन्हें
उन्हें खुश देखना
चाहता हूँ
बना ना सका अपना
जिन्हें
उन्हें अपना बनाना
चाहता हूँ
बचे वक़्त का हर लम्हा
दूसरों के लिए जीना
चाहता हूँ
कल कह ना सकूं
दिल की बात आज ही
कहना चाहता हूँ
सुकून से जाना
चाहता हूँ
डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
"GULMOHAR"
H-1,Sagar Vihar
Vaishali Nagar,AJMER-305004
Mobile:09352007181

1 टिप्पणी:

  1. बचे वक़्त का हर लम्हा
    दूसरों के लिए जीना
    चाहता हूँ
    कल कह ना सकूं
    दिल की बात आज ही
    कहना चाहता हूँ
    सुकून से जाना
    चाहता हूँ
    प्रिय तेजवानी गिरिधर जी सुन्दर प्रस्तुति...डॉ निरंतर जी की रचनाएं खूबसूरत होती हैं ...
    भ्रमर ५
    प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच पर पधारने के लिए आभार और स्वागत

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