मंगलवार, 28 जून 2011

सरकार को चुना लगाने पर मिले आरोप पत्र से बचने के लिये एक बाबू ने किया झूठा परिवाद

दो रोज पूर्व डूयटी ज्वोईन करने वाले आईएएस पर किया झूठा परिवाद
पुलिस की निष्पक्ष, निर्भिक जांच में हुआ खुलासा
सूचना के अधिकार 2005 ने किया एक बाबू के मनगढ़त, झूठे परिवाद का खुलासा
उदयपुर। डाक एवं तार विभाग, उदयपुर में दो रोज पूर्व ही नौकरी ज्वोईन करने वाले अपने ही विभाग के आला अफसर द्वारा सरकारी खजाने में लगातार राजस्व को चुना लगाने वाले तथा उसकी अनियमितताएं पकडऩे के एक सनसेनीखेज मामले में आला अफसर द्वारा दिये गये आरोप पत्र से बचने के लिये डाक एवं पोस्ट विभाग, उदयपुर के एक बाबू (पोस्टल अस्टिेण्ट) ने उनके विरूद्ध ही झूठा परिवाद दर्ज करवा कर उन्हें परेशान करने में कोई कसर नही छोडी। यही नहीं परिवाद दर्ज करवाने वाले इस बाबू ने इस प्रकरण में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले अपने ही विभाग के दो लोगों के साथ स्वयं के झूठे बयान तक दिलवाये और उनकी कापियों को हंासिल कर आईपीएस के अधिकारी के विरुद्ध कैट में भी प्रकरण दर्ज करवाने की कोशिश की।
यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है - पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय के मार्फत मांगी सूचना के अधिकार 2005 के तहत एक प्रार्थना पत्र पर । पी एन टी कॉलोनी हिरण मगरी सेक्टर 4, उदयपुर निवासी एंव डाक एंव तार विभाग के बाबू एंव पासपोर्ट कार्यालय के सेवा केन्द्र में कार्यरत लीलाधर शर्मा उर्फ एल डी शर्मा ने गत दिनों एक परिवाद पुलिस महानिदेशक के मार्फ त प्रस्तुत कर अपने विभाग के आई पी एस केडर के प्रवर अधीक्षक श्री एस एन जोशी पर उसे परेशान करने, 15 हजार रूपये की प्रतिमाह रिश्वत नही देने पर उसका जीना हराम करने तथा उदयपुर से स्थानान्तरण कर उसे बर्बाद करने के संगीन आरोप लगाते हुये उचित कानून सम्मत कार्यवाही करने का आग्रह किया। परिवाद में एल डी शर्मा ने स्वयं को ईमानदार बताते हुये आईपीएस कैडर के प्रवर अधीक्षक पर उसे नौकरी कैसे करते है ? का सबक सिखाने, उसके बच्चों का भविष्य खराब कर देने के साथ कई संगीन आरोप लगाये । परिवाद को जांच के लिये आई जी ने हिरण मंगरी थाने को भिजवाया जिस पर पुलिस ने जांच शुरू की । जांच के दौरान एल डी शर्मा ने स्वयं अपने बयानों में उक्त आरोपों को पुलिस के समक्ष दोहराया ।
एल डी शर्मा ने इस परिवाद में स्वयं के बयान के अलावा चांदपोल 196 नागानगरी निवासी तथा प्राईवेट नौकरी करने वाले अनिस खान पुत्र पेशावर खान तथा सर्वोत्तम काम्पलैक्स सेक्टर 4 में हेयर कटिंग करने वाले रामलाल सेन के बयान अपने पक्ष में दिलवाये ं घटना के वक्त पोस्ट ऑफिस में एल आई सी व टेलीफोन बिलों को जमा कराने के काम करने वाले इस गवाह अनिस खान ने पुलिस को अपने बयान में बताया कि 18 दिसम्बर 2010 को प्रात : वह 9:30 पर पासपोर्ट सेवा केन्द्र कार्यालय की सफाई कर रहा था तभी प्रवर अधीक्षक ने अपने पद स्थापन के साथ ही पहले दिन एल डी शर्मा के कार्यालय में आकर सारा काम उनके हिसाब से करने 15 हजार रूपये की रिश्वत प्रतिमाह देने, ट्रांसफर करने, सस्पेड कर देने की बात कही। इसके बाद वह पुन: 10:30 पर विभागीय पोस्टमास्टर लक्ष्मीलाल मीणा के साथ आये और उक्त धमकियॉ देकर गये।
दूसरे गवाह राम लाल सेन ने अपने बयान में कहा कि वह एम बी चिकित्सालय में भर्ती अपने भाई से मिलने गया तभी उसने एल डी शर्मा को जाते हुये देखा। वह भी उनके पीछे पीछे पोस्ट आफिस पहुंचा। करीब 10 बजे की घटना बताते हुये रामलाल सेन ने कहा कि ऑफिस में पहले से शर्मा व अनिस खान बैठे हुये थे और प्रवर अधीक्षक एस एन जोशी हाथ जोड कर खडे एल डी शर्मा को सबके सामने डाट रहे थे और उक्त राशि नहीं देने पर धमकियां दे रहे थे । अधिकारी का नाम दो दिन बाद एल डी शर्मा ने मेरी दूकान पर आने के बाद बताया था ।
परिवाद की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने एल डी शर्मा द्वारा लगाये आरोपों के बारे में जब पत्र लिख कर प्रवर अधीक्षक से उन आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा तो उसमें कई होश उड़ा देने वाले सनसनीखेज तथ्य उजागर हुये। प्रवर अधीक्षक ने अपने जबाब में थानाधिकारी हिरणमंगरी थाने को लिखे पत्र में बताया कि उन्होंने 16 दिसम्बर को प्रवर अधीक्षक के पद पर कार्य भार सम्भाला तथा रोजमर्रा की प्रक्रिया में मुख्य डाकघर उदयपुर व बी डी शाखा का आकस्मिक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान बी डी शाखा में कुछ गम्भीर अनियमितताए पाई गई जिसका विजिट नोट उन्होंने जारी किया। उसमें उन सभी अनियमितताओं को दर्ज किया गया। उन्होंने पत्र में बताया कि एल डी शर्मा द्वारा लगाये गये सभी आरोप मनगढ़त, बेबुनियाद, व असत्य है । उन्होंने पुलिस को कहा कि वे विभाग में आकर वहा कार्यरत एंव मुख्य डाकघर के पोस्टमास्टर से इस बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं जो विजिट नोट लिखने के दौरान वहां मौके पर मौजूद थे।
प्रवर अधीक्षक ने अपने पत्र में बताया कि शर्मा को आरोप पत्र देने का सवाल है वह दुर्भावना से नही दिया गया बल्कि विजिट नोट 18 दिसम्बर 2010 एंव इसके बारे में सहायक अधीक्षक डाकघर, उदयपुर द्वारा की जांच के दौरान पाई गई गम्भीर अनियमितताएं, जिससे विभाग को भारी राजस्व की हानि हुई है, उसके कारण दिया गया । प्रवर अधीक्षक पर एल डी शर्मा द्वारा डाक विभाग के कई कर्मचारियों, अधिकारियों के साथ मिलकर उसके खिलाफ साजिश करने के लगाये आरोपों के बारे में पुलिस अधिकारी को लिखा कि ये सारे आरोप भी बेबुनियाद, मनगढ़त व असत्य हैं। इसके बारे में वह कर्मचारी संगठनों, व कर्मचारियों से आकर पूछताछ करे। प्रवर अधीक्षक ने सारे आरोप को नकारते हुये स्पष्ट लिखा कि एल डी शर्मा का इस तरह से शिकायत करना एक नये अधिकारी को परेशान करना की मुख्य उदेश्य है । जोशी ने बताया कि वह 17 दिसम्बर को जोधपुर से सूरत जा रहे थे तब भी एल डी शर्मा ने स्वयं के मोबाईल से फोन किया तथा कई लोगों से भी फोन करवा कर उन्हें परेशान किया। वह कर रहा है। होश उड़ा देने वाला तथ्य उजागर करते हुये प्रवर अधीक्षक ने बताया कि शर्मा ने कैट, जोधपुर में भी उसने दो प्रकरण दर्ज करवाये है तथा उनकी एल डी शर्मा से कोई मुलाकात भी नही है ना ही वह पहले कभी उदयपुर मण्डल में कभी कार्यरत थे या कार्य किया है।
प्रवर अधीक्षक के पत्र के बाद पुलिस अधिकारियों का माथा ठनका और और उन्होंने इसकी निष्पक्ष जांच की और विभाग के अधिकारी तथा उसके कार्यालय के आकस्मिक निरीक्षण करते वक्त साथ रहे प्रधान डाकघर लक्ष्मीलाल मीणा, विभाग से ही सेवानिवृत हुये छटाई सहायक तथा वर्तमान में दैनिक वेतनभोगी के पद पर कार्यरतï खेमराज मीणा व अखिल भारतीय डाक कर्मचारी गु्रप सी के मण्डल सचिव व सिस्टम मैनेजर विनय जोशी के बयान कलमबद्ध किये। सभी कर्मचारियों व अधिकारियों ने अपने बयान में बताया कि प्रवर अधीक्षक एस एन जोशी ने 16 दिसम्बर को पद भार सम्भाला तथा दो दिन बाद ही सभी ब्रंाचों का आकस्मिक निरीक्षण किया। निरीक्षण करते वक्त साथ रहे प्रधान डाकघर लक्ष्मीलाल मीणा ने बताया कि जब विजिट किया गया तब एल डी शर्मा से बी डी रजिस्टर (रेवेन्यू आय सम्बंधी रजिस्टर) मांगा व चैक किया तो उसमें एक दिसम्बर से रजिस्टर खाली था, जिसमें रोजाना इन्द्राज करना होता है जिस पर शर्मा को पूछा गया तो उसने गलती स्वीकार करते हुये कहा कि रह गया वह पूरा कर देगा। सरकारी राजस्व की 16 दिन की आय को लगातार दर्ज नही करना अत्यन्त ही गम्भीर प्रकृति का आरोप है, जिसमें वह हेराफेरी करना चाहता था। जिस पर विजिट नोट जारी किया गया। और बतौर इन्चार्ज उन्होंने स्पष्टीकरण मंागा। काउन्टर पर रुपये मांगने, डराने व धमकाने सम्बधी कोई बात नही हुई। काउन्टर पर ही कार्य करने वाले सेवानिवृत हुये छटाई सहायक तथा वर्तमान में दैनिक वेतनभोगी के पद पर कार्यरतï् खेमराज मीणा ने बताया कि प्रवर अधीक्षक ने सारा रिकार्ड चैक किया तथा डराने सम्बधी कोई बात नही हुई न ही किसी प्रकार की मांग की गई।
अखिल भारतीय डाक कर्मचारी गु्रप सी के मण्डल सचिव व सिस्टम मैनेजर विनय जोशी ने बताया कि कोई भी अधिकारी जब किसी भी कर्मचारी को नाजायज तंग व परेशान करता है तो वह यूनियन में शिकायत करता है पर शर्मा ने कोई शिकायत नहीं की, बल्कि उनके कार्य में त्रुटि पाये जाने पर चार्जशीट दी गई और स्पष्टीकरण मांगा गया । इसलिये शर्मा ने पुलिस को शिकायत की जो विभागीय नियमावली के खिलाफ है। पुलिस से इस जांच के दौरान शर्मा ने जल्दबाजी करते हुयेे पुलिस से सूचना के अधिकार के तहत स्वयं व अपनी ओर से कराये दो गवाहों के बयानों की कापियां भी मांग ली तथा उच्चाधिकारियों से फोन भी करवाये, जिस पर पुलिस का माथा ठनका। पुलिस को जांच में यह तथ्य भी पता चला कि वह इन बयानों को कैट जोधपुर में भेज कर उसकी बात नही मानने वाले प्रवर अधीक्षक को प्रभावित भी करना चाहता था।
पुलिस थाना हिरणमगरी ने शर्मा के बुरे खयालों व दुर्भावना को पहचानते हुये इस प्रकरण में दोनों पक्षों के बयानों के बाद अन्तिम निर्णय पर पहुंचे कि जो अधिकारी दो रोज पूर्व पहली बार उदयपुर आकर कार्य भार सम्भालता है तथा आकस्मिक निरीक्षण करते हुये शर्मा क ोराजस्व को हानि पहुचाने के मामले में चार्ज शीट देता है। शर्मा ने इस चार्जशीट से बचने के लिये अपने ही विभाग के आला अफसर के विरूद्ध मनगढ़त झूठा परिवाद पेश किया है।
तथ्य :
1 कोई भी अधिकारी जो कि आईपीएस कैडर का हो वह विभाग के बाबू से रिश्वत क्यो मांगेगा, जब कि वह दो रोज पूर्व पहली बार उदयपुर आया हो।
2 एल डी शर्मा का यह प्रयास उदयपुर की छवि को खराब करने वाला व आम जनता के विश्वास का प्रतीक डाक व तार विभाग की छवि को खराब करने वाला साबित हुआ ।
3 शातिर एल डी शर्मा ने जो गवाह पेश किये वह पब्लिक मेन होकर उसके हितेषी थे जिनके बयानों में भी विरोधाभास था।
4 अनिस खान ने अपने बयान में बताया कि प्रवर अधीक्षक ने अपने पद स्थापन के बाद पहले ही दिन शर्मा को धमकियां दी व रूपयों की मांग की इस पर भी जांच अधिकारी को सन्देह हुआ। उसके बयान में एक ही दिन में दो बार आकर आला अफसर द्वारा धमकिया दिया जाना भी विश्वसनीय नही प्रतीत हुआ।
यह रिपोर्ट वरिष्ठ पत्रकार श्री सुरेन्द्र चतुर्वेदी ने भेजी है।

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