गुरुवार, 3 नवंबर 2011

मन सिर्फ मिलने से नहीं मिलते


मन सिर्फ मिलने से नहीं मिलते

उनसे बात करता हूँ

तो पता नहीं क्यों

अपने राज़ खोलने

लगता हूँ

वो भी ध्यान से

सुनते है

फिर धीरे से कहते है

सब्र रखो

सब ठीक होगा

मुझे लगता है

कभी मिले नहीं

फिर भी

वो मुझे समझते हैं

मन सिर्फ मिलने से

नहीं मिलते

निरंतर इस सत्य पर

विश्वास बढाते हैं




मैं फिर सोच में डूब गया........

अलसाया सा

मूढे पर बैठा था

सोच में डूबा था

चिड़िया की चहचाहट

ने ध्यान भंग किया

नज़रें उठायी

देखा तो रोशनदान पर

चिड़िया तन्मयता से

घोंसला बना रही थी

उसके सीधेपन पर

ह्रदय में दुःख होने लगा

लोगों ने निरंतर

बड़े पेड़ों

उनपर लगने वाले

घोंसलों को नहीं छोड़ा

अनगिनत पक्षियों को

बेघर किया

रोशनदान में लगे घोंसले

को कौन छोड़ेगा?

एक दिन इसे भी बेघर

होना पडेगा

अस्तित्व के लिए

लड़ना पडेगा

मैं फिर सोच में

डूब गया........


डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
"GULMOHAR"
H-1,Sagar Vihar
Vaishali Nagar,AJMER-305004
Mobile:09352007181

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