tag:blogger.com,1999:blog-7544291197153976893.post1614665628783243077..comments2023-04-11T23:06:39.042-07:00Comments on साझा मंच: कल कह ना सकूंतेजवानी गिरधरhttp://www.blogger.com/profile/15920539204622934103noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7544291197153976893.post-79251593472505782922012-05-29T08:01:51.556-07:002012-05-29T08:01:51.556-07:00बचे वक़्त का हर लम्हा
दूसरों के लिए जीना
चाहता हूँ...बचे वक़्त का हर लम्हा<br />दूसरों के लिए जीना<br />चाहता हूँ<br />कल कह ना सकूं<br />दिल की बात आज ही<br />कहना चाहता हूँ<br />सुकून से जाना<br />चाहता हूँ <br />प्रिय तेजवानी गिरिधर जी सुन्दर प्रस्तुति...डॉ निरंतर जी की रचनाएं खूबसूरत होती हैं ...<br />भ्रमर ५<br />प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच पर पधारने के लिए आभार और स्वागतSURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5https://www.blogger.com/profile/11163697127232399998noreply@blogger.com